लोग हमेशा स्वतंत्रता ( freedom ) का गलत मतलब निकालते है। बिना अनुशासन के स्वतंत्रता ज्यादा देर नहीं टिकती। और अनुशासन आता है जागृति से । हम क्या कर रहे है, क्यों कर रहे है, और कैसे करना है इन बातो की जागृति से बनता है अनुशासन । समजो की एक सैन्य लड़ रहा है, जिनमे स्वतंत्रता है पर अनुसाशन नही, तो जिसको जो चाहे वहा लड़ने जा रहा है; क्या होगा परिणाम? आप सायद एक दो विरोधी सैन्य के लोगो को मार भी दो पर क्यों की आप बिना अनुसाशन के सुगठित नहीं, सामने वाला लस्कर आप को बहोत आसानी से मार गिरायेगा। आप की स्वतंत्रता बहोत जल्दी खत्म हो गयी।सोचो आप अनुशासित हो; आप जानते हो कब एक साथ वार करना है; कोनसी जगह पे ज्यादा और कोनसी जगह पे कम खतरा है कौन आगे चलेगा कौन पीछे। वही तरीके से ( अनुशासित होकर ) काम कर रहे हो तो आप की जीत की संभावनाए कई गुना बढ़ जाती है। दुश्मन सामने आ जाये तो आप स्वतंत्र हो आप को जो ठीक लगे वो तरीके से आप उसको गिरा दो; एक गोली मारो, या दस, आप तय करो। जितने से वो मरता है वो आप तय करो और ठोक दो। आप स्वतंत्र हो यहाँ पर।
आपका घर है आपके घरमे आपको स्वतंत्रता है, तो आप कभी टॉयलेट में सोते हो? कभी टॉयलेट में खाना पकाते हो? नहीं न? क्यों? क्यों की आप को जागृति है की खाना पकाने के लिए किचन बनाया है। आप किचन में ही खाना बनाओ तो हर ढंग से बहेतर है। हर चीज कुछ मतलब से बनायीं जाती है। किचन में जाके आपकी मर्जी वो खाना पकाओ। आपका घर आपका किचन है।
इस्तेमाल के मतलब को समजते ( Awareness ) हुए आप उसको उसी तरह से समजके इस्तेमाल करे वो अनुशासन है।
अभी लोग स्वतंत्रता की बहोत बाते करते है, और मुझे भी स्वतंत्रता पसंद है। स्वतंत्रता वाली स्कूल चलाने की बाते भी हो रहि। सोचो एक स्कूल है वहां क्या पढ़ना, कितना पढ़ना, स्कूल कब आना, कब जाना, क्लास में बैठना और न बैठना इन सब बातो में बच्चो को स्वतंत्रता दी गयी है। क्यों की सब बातो में स्वतंत्रता है तो स्कूल का समयपत्रक ही नही। सोचो कितने बच्चे स्कूल आएंगे? कितने एक साथ क्लास में बैठेंगे? अब ५ बच्चे १० बजे आ रहे, २० बच्चे १२ बजे और कोई २० मिनट में स्कूल छोड़ के चला जा रहा है। स्वतंत्रता है, कोई भी बच्चा चल रहे क्लास में कितना भी शोर करे; कैसे पढ़ा पाएंगे हम उन्हें? क्या पढ़ना है, क्यों पढ़ना है, कब पढ़ना है ये तय होना अत्यंत आवश्यक है ( discipline )।
हम कितना भी सोचे , मुलभुत रूप से हम पूर्णतः स्वतंत्र नहीं है। हम एक कुदरत की बनायीं व्यवस्था के भाग है। जिसमे कुदरत के कुछ नियम है उनके नियमो में रहते हुए ( discipline ) हम अपनी स्वतंत्र जिंदगी बिता सकते है। कुदरत कुछ खास परिस्थितियों के बीच में ही एक बीज को वृक्ष में परिवर्तित करती है।पत्थर पे और वो भी बिना पानी के हम पेड़ नहीं उगा सकते। कुदरत ने बनायीं उस परिस्तिथियों को समझते और अनुसरते हुए ( discipline ) हमें ये स्वतंत्रता है की हम हमारा मन चाहा वृक्ष उगा सके।
सोचो आप स्वतंत्र हो तो आप हवामे १० फ़ीट ऊपर हॉकी खेलना चाहते हो। कौन रोक रहा तुम्हे? कोई भी तो नहीं? आप ये बात समझलो की पृथ्वी पे हम रहते है तो गुरुत्वाकर्षण नाम की कोई चीज है जो न हमें, न बोल को हवा में रहने देती है। हम खुली जमीन पर मुक्त रूप से हॉकी खेल सकते है। यहाँ हमें पूरी स्वतंत्रता है हम हॉकी खेले, जैसे मन करे वैसे खेले और हॉकी को छोड़ क्रिकेट खेले।